शिक्षक दिवस

हमारी सृष्टि की संरचना करने में देवों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है- ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता,विष्णु पालनहार और महेश को सृष्टि का संहारक कहा जाता है। मनुष्य को इस संसार में जीवनयापन करने के लिए आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से जीवन यापन करना पड़ता है।आध्यात्मिक स्वरूप को आगे बढ़ाने के लिए उसको एक आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता रहती है और इस भौतिकवादी युग में आगे बढ़ने के लिए एक शिक्षक की आवश्यकता रहती है आज का युग भौतिकवादी युग है अतः अपने जीवन निर्वाह के लिए निजी व्यवसाय,उद्यम कला-कौशलता में निपुणता प्राप्त करने के लिए एक श्रेष्ठ गुरु की आवश्यकता रहती है उस आवश्यकता की पूर्ति के लिए एक सच्चे,संस्कारवान,दया-भावी, परोपकारी और सहिष्णुता शिक्षक की आवश्यकता रहती है
प्राचीन काल में बालक बड़ा होने पर गुरुकुल आश्रम में शिक्षा ग्रहण के लिए भेज दिया जाता था। 25 वर्ष की आयु तक ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करते हुए शिक्षा ग्रहण करते थे और उसके बाद ग्रहस्थ जीवन में आते थे ।आश्रम में रहते हुए शिष्य गुरु की सेवा- सुरक्षा करता था ।प्राचीनकाल में शिक्षा का स्वरूप मौखिक था  जब से लेखन सामग्री का आविष्कार हुआ तब से शिक्षा अनुभवों को संगठित करके रामायण,महाभारत,वेद,पुराण गीता,आरण्य,ब्राह्मण-ग्रंथ,टीका,भाषा-ग्रंथ दोहे,गद्य-पद्य आदि देव भाषा संस्कृत में लिखे जाते थे।गुरु ही समाज का दर्पण है एक अबोधबालक जिसका मस्तक खाली रहता है बालक के मस्तिक में शिक्षक ही अच्छे संस्कार,प्रेम-दया,करुणा,परोपकारी,विनम्रता दानवीर,सहिष्णुता,त्याग,बलिदान,देशभक्त बना देता है शिक्षक ही ज्ञान की ज्योति की अलख जगाने वाला संसार का अंधकार मिटाने वाला अंधेरे से उजाला करने वाला होता है।
शिक्षक ही विश्व में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला होता है -यूरोप में पोप के पाप को
मोचन पत्र का विरोध सांमन्तशाही, राजशाही की पोल खोलने वाला रूढ़िवादी धर्म-आचार्यों की नकेल कसने वाला रुढिवादी परम्परा से छुटकारा दिलाने वाला ही एक शिक्षक है इतिहास के अकाट्य प्रमाण है कि विश्व में जितनी भी राज्य क्रांतियां हुई थी फ्रांस की क्रांति हो, अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम, रूस की क्रांति का प्रसार हो भारत का स्वतंत्र संग्राम हो लोकतंत्र में प्राण फूंकने वाला शिक्षक है ।शिक्षक में वह शक्ति है जो देश में आमूलचूल परिवर्तन ला सकता है एक डॉक्टर एक मरीज का इलाज कर सकता है उनका स्वास्थ्य ठीक कर सकता है शिल्पकार मूर्तिकार चित्रकार वास्तुकार सर्वश्रेष्ठ मूर्ति बना सकता है एक इंजीनियरिंग दो नदियों को आपस में जोड़ सकता है परंतु एक शिक्षक में वह शक्ति है, वह साहस है कि पूरे विश्व में वैचारिक उपदेशों द्वारा,ओजस्वी वाणी द्वारा,भाषण लेखनी के द्वारा विश्व की प्रमुख धाराओं को बदल सकता है।गुरु ही समाज का अग्रणी होता है, गुरु ही समस्त ज्ञान का स्रोत है ।शिक्षक के कंठ में मां सरस्वती का निवास होता है सरस्वती के भंडार की बड़ी अपूर्व बात है -'जो खर्चे त्यों त्यों बढ़े खर्चे घटी जात 'ज्ञान रूपी प्रसाद शिक्षक से ही प्राप्त होती है गुरु की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है गुरु की महिमा अपार है ।गुरु ने हीं भगवान राम,कृष्ण,अर्जुन,शिवजी,महाराणा प्रताप अनेक योद्धाओं के गुणों को तराशा है इन योद्धा वीरपुरुषों को युगो युगो से हमेशा याद करते रहेंगे सृष्टि के जीवन पर्यंत हम उन्हें याद करते रहेंगे।सृष्टि की रचना के साथ गुरु की भूमिका का उपरोक्त बिंदुओं का वर्णन किया जा चुका है आधुनिक युग में गुरु का स्थान मिले इसका श्रेय डॉ राधाकृष्ण को दिया जाता है स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति तथा द्वितीय बार बने भारत के राष्ट्रपति एक साधारण परिवार से थे वे बाल्यावस्था में ही मेघावी कुशाग्र विशाल और होनहार थे उनका व्यक्ति जीवन सादा सरलता भारतीय संस्कृति के पक्षधर थे विश्व में भारत की इस संस्कृति की छाप छोड़ी ,वे अनेक भाषाओं के जानकार थे।
 हमें नवभारत का निर्माण करना है यह तभी संभव होगा कि प्रत्येक शिष्य को अपने समर्पित भाव से आत्मसमर्पण कर के शीश नवाकर नतमस्तक होकर गुरु की वंदना करें गुरु हमेशा स्वार्थ ही निर्लों भी लालची भावना रहित होता है अपने शिष्य को उच्चतम पद पर सुशोभित होने पर समाज में अपनी मार मर्यादा से ऊपर उठता है तो गुरु ही अपने आप में गौरवान्वित महसूस करता है अपनी तपस्या को संसार को फलने फूलने में लगा देता है उसकी शिक्षा सार्थक हो जाती है अतः सभी विद्यार्थी अपने इष्ट देव के सम्मान अपने अपने गुरु का शहर देश से समन करें जिससे आज हमें इस योग्य बना है और इस मुकाम पर पहुंचा है ऐसे गुरु को कोटि-कोटि शत शत प्रणाम प्रणाम प्रणाम
                 शंकर नाथ धीरदेसर
                    हनुमानगढ़                                         वरिष्ठ अध्यापक (हिन्दी)               राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय                       अलीपुरा अजमेर
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