गरीबी पर कहानी
गांव में एक छोटा सा लड़का था, जिसका नाम मोहन था। मोहन बहुत गरीब था। उसका घर टूट-फूट कर बन था, और उसके पास अच्छे कपड़े भी नहीं थे। मोहन के माता-पिता खेतों में काम करते थे, लेकिन फिर भी घर का खर्च सही से नहीं चलता था।
एक दिन मोहन स्कूल जा रहा था। रास्ते में उसने देखा कि उसके दोस्तों के पास नई-नई किताबें और पेंसिल बॉक्स थे, लेकिन उसके पास सिर्फ पुरानी किताब थी, और पेंसिल भी आधी टूट चुकी थी। वह सोचने लगा, "क्यों न मेरे पास भी अच्छे कपड़े और नई किताबें हों?"
लेकिन जब वह स्कूल पहुंचा, तो उसकी अध्यापिका ने उसे पास बुलाया। उसने मोहन से पूछा, "मोहन, तुम्हारे पास क्या कुछ नया है?" मोहन थोड़ी शर्मिंदगी के साथ बोला, "नहीं, मैम। मेरे पास कुछ भी नया नहीं है।"
अध्यापिका मुस्कुराई और बोली, "मोहन, तुम सही हो कि तुम्हारे पास धन नहीं है, लेकिन तुम्हारे पास जो सबसे कीमती चीज है, वह है तुम्हारा दिमाग और मेहनत। तुम्हारे पास एक बड़ा भविष्य है, अगर तुम कड़ी मेहनत करोगे।"
मोहन को यह बात बहुत अच्छी लगी। उसने ठान लिया कि चाहे उसे क्या भी करना पड़े, वह पढ़ाई में पूरी मेहनत करेगा। धीरे-धीरे मोहन की मेहनत रंग लाई। वह अच्छे नंबरों से पास होने लगा। उसके सपने बड़े होते गए, और उसने गरीबी को अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने दिया।
वह बड़ा होकर डॉक्टर बना और अपने गांव की मदद करने के लिए एक अस्पताल खोला। मोहन ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से यह साबित किया कि गरीबी केवल एक स्थिति है, जो तब तक आपका साथ देती है, जब तक आप उसे खुद से बाहर नहीं निकालते।
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