"वर्षा-पुकार"

        "वर्षा- पुकार"                         

जग के उर्वर आंगन मे
प्यासा कृषक करें पुकार
अब तो बरसो तारणहार
प्यासी धरती प्यासा संसार
पशु-पक्षी करे पुकार
अब तो बरसो तारणहार
प्यासे पहाङ प्यासे पालनहार
प्यासे जानवर करे पुकार
अब तो बरसो तारणहार
प्यासी बावड़ी प्यासे तालाब
प्यासे उपवन करे पुकार
अब तो बरसो तारणहार
प्यासी कोयल प्यासे मोर
प्यासी मायड़ करे पुकार
अब तो बरसो तारणहार
प्यासी आत्मा प्यासी निगाहें
प्यासे सपने करे पुकार
अब तो बरसो पालनहार


                     शंकर नाथ जाखङ
                    धीरदेसर हनुमानगढ़


टिप्पणियाँ

Shankar nath ने कहा…
इंद्र भगवान से वर्षा हेतु पुकार की गई है
Shankar nath ने कहा…
मेरी इस कविता को पढ़कर प्रतिक्रिया जरूर देखें और लाइक करें
बेनामी ने कहा…
good poem

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