कश्मीरी-केसर
गूंज उठा घाटी का कण कण
चमक उठी केसर की रसधार है
जन्नती हिमानी की घाटी में
बर्फानी हवा की बहार है
थिरक रही सूरज की किरणें
गूंज उठा डल में राग मल्हार है
उच्च हिमालय मुकुट बना है
वहा शिव की गंगा -धार है
अमरनाथ की प्यारी यात्रा
उसमें भोले का जयकार है
दमक उठा घाटी का पत्थर
अब पत्थर प्यार का पैगाम है
पत्थर गिरा के, पुस्तक उठा के
विद्यालय जाता हर परिवार है
अमन ,शांति फैली है घाटी में
हर कश्मीरी गाता राग मल्हार
बोल उठा कश्मीरी बालक
जग मे भारत देश महान है
कश्मीरी केसर की क्यारी
केसर की फैली बहार है
जाग उठा कश्मीरी जन-जन
भारत मां का जय जयकार है
शंकर नाथ.....
चमक उठी केसर की रसधार है
जन्नती हिमानी की घाटी में
बर्फानी हवा की बहार है
थिरक रही सूरज की किरणें
गूंज उठा डल में राग मल्हार है
उच्च हिमालय मुकुट बना है
वहा शिव की गंगा -धार है
अमरनाथ की प्यारी यात्रा
उसमें भोले का जयकार है
दमक उठा घाटी का पत्थर
अब पत्थर प्यार का पैगाम है
पत्थर गिरा के, पुस्तक उठा के
विद्यालय जाता हर परिवार है
अमन ,शांति फैली है घाटी में
हर कश्मीरी गाता राग मल्हार
बोल उठा कश्मीरी बालक
जग मे भारत देश महान है
कश्मीरी केसर की क्यारी
केसर की फैली बहार है
जाग उठा कश्मीरी जन-जन
भारत मां का जय जयकार है
शंकर नाथ.....
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