" सावन "
हरे हरे ये खेत
सावन में भीगी रेत
किसान का वर्षा-हेत
उड़ते धवल-हंसों की रेख
सब सावन की कहानी बयां करते है।
मोर-पपैया का राग
नन्हे पौधे पर पराग
नववधू का कांत-राग
पानी से भरा तालाब
उसके किनारे उगी घास
सब सावन की कहानी बयां करते हैं।
पेड़ पर लटका झूला
सावन का रंग सुरीला
चिंटी का खेल हठिला
कोयल का बोल रसीला
सब सावन की कहानी बयां करते हैं।
खेतो में जुते बैल
पशुओं की रेलम- रेल
बच्चों का किश्ती-खेल
कीट पतंगों की चहल
सब सावन की कहानी बयां करते हैं ।
शंकर नाथ, धीरदेसर
व.अ.(हिन्दी)
रा बा मा वि -अलीपुरा(अजमेर)
सावन में भीगी रेत
किसान का वर्षा-हेत
उड़ते धवल-हंसों की रेख
सब सावन की कहानी बयां करते है।
मोर-पपैया का राग
नन्हे पौधे पर पराग
नववधू का कांत-राग
पानी से भरा तालाब
उसके किनारे उगी घास
सब सावन की कहानी बयां करते हैं।
पेड़ पर लटका झूला
सावन का रंग सुरीला
चिंटी का खेल हठिला
कोयल का बोल रसीला
सब सावन की कहानी बयां करते हैं।
खेतो में जुते बैल
पशुओं की रेलम- रेल
बच्चों का किश्ती-खेल
कीट पतंगों की चहल
सब सावन की कहानी बयां करते हैं ।
शंकर नाथ, धीरदेसर
व.अ.(हिन्दी)
रा बा मा वि -अलीपुरा(अजमेर)
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