छोटे-छोटे बालक

हुआ सवेरा मम्मी बोली 
बच्चों ने तब आंखें खोली 
अच्छे बच्चे धोक लगाते 
मम्मी से आशीर्वाद पाते 
मम्मी जब दूध पिलाती है 
बच्चों में उर्जा आती हैं 
खेले बच्चे,गाये बच्चे 
दौड़ दौड़ कर नहाये बच्चे 
गिनती बोले,शोर मचाए 
ककहरा की राग सुनाएं
दौड़ दौड़ कर शाला जाए
मां सरस्वती के धोक लगाएं
सफल जीवन का आशीष पाये
गुरु चरणों में शीश नवाए
आदर्श गुणों की विद्या पाये
गुरु जी हम-सब को पढ़ाएंगे 
हमे आदर्श पुरुष बनाएंगे
तभी तो हम महान कहलाएंगे 
जीवन को सफल बनाएंगे 
भारत की गाथा गाएंगे 
देश को मान बढ़ाएंगे 
भारत मां के शीश नवाएंगे
           शंकर नाथ जाखड़ 
         धीरदेसर,हनुमानगढ़


टिप्पणियाँ

DMM MUSIC ने कहा…
लेखनी उठाकर कोपी खोली।
बोलने लगे कवि की बोली।।
शानदार गुरु

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