"हिन्दी भाषा की ताकत"


भारत का प्रकाश है इसमें
जन-जन की पुकार है इसमें
भारतीयों का प्यार है इसमें
राष्ट्रभाषा की दरकार है इसमें
समरसता का सार है इसमें
अखंडता का भार है इसमें
संस्कारों की भरमार है इसमें
चेतना की पुकार है इसमें
गरीबों की सरकार है इसमें
राष्ट्रप्रेम की दरकार है इसमें
संस्कृति की झलक इसमें
भ्रातृत्व की भावना है इसमें
आर्यों की सद्भावना है इसमें
नाथ-सिद्धों की छाप इसमें
जैनों-साहित्य की बात है इसमें
वीर रस की सौगात है इसमें
श्रंगार रस की छाप है इसमें
भक्ति  की रसधार है इसमें
वात्सल्य का प्यार है इसमें
छंदों की भरमार है इसमें
व्याकरण की धार है इसमें
संस्कृती का प्रचार है इसमें
अत्याचारों का प्रतिकार है इसमें
प्रेमचंद जैसे कलमकार है इसमें
अपभ्रंश का सुधार है इसमें
कबीर का विस्तार है इसमें
लोक कल्याण का सार है इसमें
(14 सितम्बर- हिन्दी दिवस की मंंगलकामनाएं)
     
            शंकर नाथ,धीरदेसर (हनुमानगढ़)
                       वरिष्ठ अध्यापक (हिंदी)
        राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय                         अलीपुरा (अजमेर)

टिप्पणियाँ

Shankar nath ने कहा…
please give me response for my poem
Rakesh ने कहा…
अच्छा गुणगान

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