अध्यापक की पुकार(कविता)

शिक्षक(Teacher)

अजीब सी बेचैनी बना रखी है
जीवन के हर कोने में
कहां मिलता है सुख
खाली पड़ी स्कूलों में

बहुत कोशिश करते हैं
दुनिया को कोरोना से बचाने की
पर कोरोना है दुश्मन
वह लगा है जीवन की हस्ती मिटाने पर
पर सुन रे कोरोना..............................

हम बच्चों से दूर भले ही हैं
पर दुआ साथ हैं बच्चों की
हस्ती नहीं मिटेगी हमारी दुनिया में
एक लंबे दौर तक

आखिर में स्कूल भी खुलेगी
उन्ही स्कूलों में बच्चे भी खिलखिलाएंगे
माना कि साथ नहीं देती है -प्रकृति
रोज बिगड़ता है रूप इसका
हमें अफसोस नहीं इस कुरूप का

हमें आशा है एक सुख भरे दिन की
बच्चे भी आयेंगे,वो गीत भी गायेंगे
झोंक देंगे हम सब ताकत अपनी
बच्चों को पढ़ाने में...........................
                         अध्यापक की कलम
                           शंकर नाथ धीरदेसर
                         रा.बा.मा.वि.अलीपुरा

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
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