पापी कोरोना (कविता)
इक विषाणु की भयावह
त्रास सकल संसार
धनबल अंधीदौड़ मे
त्रास सकल संसार
धनबल अंधीदौड़ मे
करत है मानवता विनाश
अछूत विषाणु की सह मे
चलत चीन कुचाल
सकल जगत भये बेहाल
अछूत विषाणु की सह मे
चलत चीन कुचाल
सकल जगत भये बेहाल
नाटा कद,कुटिल नेत्र से
परास्त भये सकल संसार
अर्थ तंत्र विफल भयो
फिसड्डी हुआ सब कारोबार
अग्रणी देश फिसड्डी भया
जन का जन दुश्मन भया
हुआ सब हाल बेहाल
सकल मानवता तड़प रही है
कोरोना विषाणु के कारणै
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