भारत के अन्नदाता (कविता)

🌿🌴🌴🌴🌿🌾🌿 
तू मीत,सखा सहोदर हो
हो नृप, भूप विधाता तुम हो
हो जग के तारणहार, दीनदयाल
भरता पेट सकल संसार सब तुम
बांध गांठ पेट के खुद जग सेवा मे
निस्वार्थ भाव से लगै हो देश सेवा में
हे भूस्वामी नमन,वंदन,अभिनदन तूम को
गर्व ग्लानि, मति मोहे मरण त्याग सभी तुम
मन मस्त,है लगन,मेहनत करते तुम हो
धन्य जगत जननी मात तुम्ही को
हे विधाता,अन्नदाता
नमन तुम्ही को, वंदन तुम्ही को
#Istandwithfarmer




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

" बचपन के खेल" कविता

जो बीत गया सो बीत गया

शिक्षक दिवस