जिंदगी की ख्वाहिश

आहिस्ता चल ए जिंदगी,अभी 
शिक्षा की अलख जगाना बाकी है 
 

शिक्षक हूं.....
शिक्षक का फर्ज निभाना बाकी है 
भारत भूमि पर जन्मा हूं 

भारत मां का कर्ज चुकाना बाकी है 


आहिस्ता चल ए जिंदगी,
अभी 
शिक्षा की अलख जगाना बाकी है 

जन-जन की ख्वाहिशें अभी अधूरी है 

अधूरी पड़ी .....
ख्वाहिशों को पूरा करना जरूरी है 

गरीबी में पला बढ़ा हूं 
गरीबी को मिटाना बहुत अभी जरूरी है 

आहिस्ता चल ए जिंदगी,अभी 

शिक्षा की अलख जगाना बाकी है 

मां के आंचल में पला बढ़ा हूं 

मां के दूध का फर्ज निभाना बाकी है 

आहिस्ता चल ए जिंदगी,अभी  
शिक्षा की अलख जगाना बाकी है अनपढ़,निरक्षर को,अभी 

ज्ञान का दीप जाना बाकी है 


आहिस्ता चल ए जिंदगी,अभी 

शिक्षा की अलख जगाना बाकी है 

युवा का सपना अभी अधूरा है 

अधूरे सपनों को पूरा करना बाकी है 

आहिस्ता चल ए जिंदगी अभी 

शिक्षा की अलख जगाना बाकी है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

" बचपन के खेल" कविता

जो बीत गया सो बीत गया

शिक्षक दिवस