( थार का श्रृंगार) प्रेरणादायक कविता
थार की तेज तपन
लू के तेज थपेड़ो
इन दोनों के बीच में एक पेड़
जो जबरदस्त गर्मी की मार जेलता हुआ
हंसमुख सा खड़ा है.......
गर्मी मे मुस्कराता है
जीवन का सार बतलाता है
तन-मन अर्पन,जीवन समर्पन
जीवन-राग सिखलाता सा
पाताल लोक से रस खिंचता
निर्जल वासी,जीवन अभिलाषी
प्रकृति का माली,थार देश का आली
शंकर नाथ 'योगी',राजस्थान
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