इंसानियत

विश्वास-निर्झर बह गया 

बंजर ज्यो तन रह गया

सूख गई मानवता की डाली

बजा रहा है अब दानव ताली

जीवन-शीर्ण हो गई इंसानियत की लाली

मानव ने मानव का संहार किया

कभी एटम बम से तो 

कभी (कोरोना वायरस)जैविक बम से

मानवता पर प्रहार किया

खत्म हो गया विश्वास जगत में

फैल रहा तिमीर वतन में

ठूंठ तो हो गया मानव देखो

उतर गया पानी मानव तन से

इंसानियत देखो तड़पा रही

ईर्ष्या सब जन को खाये जा रही

मानवता तड़पा रही



Shankar nath

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