shankarlalnath.blogspot.com खेल खेल वो बचपन के खेल वो बचपन की खुशियां काश !वो बचपन के खेल वापस आ जाते। खेल- खेल वो छुपन-छुपाई का खेल छुपकर आते,हाथ लगाते मन खुशियों से भर जाते काश !लुक्काछिपी का खेल वापस आ जाते। खेल-खेल वो कंचे का खेल निशाना सिखाता, प्रेम बढ़ाता काश !वह कंचे का खेल वापस आ जाते। खेल खेल वह गिल्ली -डंडे का खेल दौड़-धूप कर पसीना बहाते काश !गिल्ली डंडे का खेल वापस आ जाते। खेल खेल वो चोर- सिपाही का खेल दोस्त बनाते,समूह बढ़ाते काश! चोर-सिपाही का खेल वापस आ जाते। खेल-खेल वो लंगडी़-टांग का खेल नियंत्रण सिखाता, बचपन बढ़ाता काश !लंगड़ी-टांग का खेल वापस आ जाते। खेल-खेल वो आंख -मिचौली का खेल आत्म-शुद्धि,बल-बुद्धि,भाईचारा बढ़ाता काश!आंख-मिचौली का खेल वापस आ जाते खेल-खेल वो गुट्टे का खेल हाथों की चंचलता, मन का प्रेम काश ! गुट्टे(गट्टा) का खेल वापस आ जाते। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 👬💂 शंकरलाल,धीरदेसर(हनुमानगढ) वरिष्ठ अध्यापक (हिन्दी) राजकीय बालिका माध्यमिक वि.-
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