अग्निवीर

अग्निवीर तुम

अग्नि बनकर

चलना सीना तान के

भारतभूमि की सेवा करना

दुश्मन को ललकार कर

दुश्मनो की करतूतो को

पग-पग रहना तुम सचेत

तुम वीर-सपुत हो भारत माँ के

रक्षा करना समर्पण-भाव से

फौलादी है सीना तुम्हारा

बलशाली है भुजा तुम्हारी

अग्निवीर तुम 

अग्नि बनकर 

चलना सीना तानकर

दुश्मनो के छक्के छुड़ाना

सरहद के उस पार भी



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कितना स्वार्थी है मानव

करवा चौथ का व्रत/कहानी

बाप-बेटी का प्रेम