जो बीत गया सो बीत गया
जो बीत गया सो बीत गया
बीते साल को बिसार दे तुम
लक्ष्य बेहद जरुरी था पर
नववर्ष मे नाव को पार कर
नव उमंग नव प्रेरणा से
जीवन मे नव संचार दे तुम
जीवन में जीत जरूरी थी
पर हार भी मजबुरी थी
वह चला गया तो चला गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गया तो छुट गया
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गया सो बात गया
जीवन में लक्ष्य अटल था
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह टुट गया तो टुट गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गया सो बात गया
जीवन में सपना था
परिश्रम पर दिन-रात
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गया सो बात गया
मृदु मिटटी का जीवन है
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
सपना टूटा ही करते हैं
फिर भी जीवन के अन्दर
मधु के घट हैं मधु सपने है
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गया सो बात गया
तुम्हें बढ़ना ही होगा..
तुम जहां खड़े हो
वहां रुकने की जगह नही है।
है सब कुछ एक वजह से
पर इसकी वजह नही है।।
इंतजार है तुम्हारे अपनों को।
इंतजार है तुम्हारे सपनों को।।
उन तालियों को
जो तुम्हारे लिए बजती हैं।
उन महफिलों को
जो तुम्हारे लिए सजती हैं।।
सीढियां बनी बनाई नही मिलेंगी
उठकर उन्हे गढ़ना ही होगा।
तुम्हें बढ़ना ही होगा।।
इन तारीखों का क्या है
आएंगी और जाएंगी।
वक्त रुकता नही है
ये बात भी समझाएंगी।।
उम्मीद और जुनून है
तो यकीन मानो सब है।
बिना हौंसले के परिंदा
बताओ उड़ा ही कब है।।
जोड़ो तिनका तिनका
गिन गिन के संभालो।
नया सवेरा होने को है
उठो लक्ष्य भेद डालो।।
पहुंचना है गंतव्य तक
तो संघर्ष शिखर पर चढ़ना ही होगा।
तुम्हें बढ़ना ही होगा।।
इंतजार नहीं नववर्ष का
लक्ष्य जो अटल तुम्हारे सामने है
नजर लक्ष्य पर रखो
उन लक्ष्य तक चलना ही होगा
🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤
शंकरनाथ धीरदेसर राजस्थान
Happy new year 2024
नए वर्ष 2024 पर प्रेरणादाई कविता
टिप्पणियाँ