ऋतु परिवर्तन
खुशबू की चादर लपेटे, आता बसंत का संदेश,
पेड़ों पर नयी कोपलें, धरती पर हरित वेश।
कोयल की मीठी कुहू, गूँज उठे हर गली,
प्रकृति मुस्कुराती है, जैसे नयी कलि खिली।
गर्मी की तपती धूप, सूरज का तेज प्रखर,
सूरजमुखी हँसता है, खेतों में दिखता असर।
आम की मीठी महक, लहराये आम्र वृक्ष,
गर्मी में भी खिलखिलाता, प्रकृति का अनुपम कक्ष।
बरखा के बादल छाये, जलधाराएं झरझर,
धरती की प्यासी गोद, हरियाली से भर भर।
मेंढक की टर्र-टर्र, मिट्टी से खुशबू आयी,
धूल भरे पत्तों पर, बूंदों ने जादू छुपाई।
पतझड़ की चुप्पी संग, पेड़ों की शाखें उदास,
पत्तों की विदाई में, हवा का मधुर प्रयास।
धूप हल्की-हल्की, सन्नाटा गहराये,
प्रकृति के इस शून्य में, फिर से नयी ऋतु आये।
हर मौसम एक कहानी, जीवन की ये पहचान,
परिवर्तन की लय में, छुपा है जीवन महान।
नए फूल, नई बयार, संग बहते ये मौसम,
सिखलाते निरंतरता, हर पल है उत्सव अनुपम।
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